Sunday, August 14, 2022
मन
तुम से झगड़ते हुए गुजारा है हम ने भी कई साल,
तुम्हे सम्भल्ते हुए भी देखा है लड़खड़ाते हम हर बार,
यह नादानीयत ही था उम्र का थकने एवं थमने मे का राज,
जब होश ना खोना कभी केवल एक इत्तिफाक सा होता था |
तुम्हे पढ़ते हुए गुजारा है हमने भी कई रात |
बुलन्द कर आवाज तुम्हे पुकारा भी हर बार |
अफ्सोस बचपन तो थम गया था मगर मै भीड़ और रफ्तार मे कहीं खो गया था तुम्हे पा कर खोने के बाद |
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